आरजू पूरी हुई आना हुआ,
बस दिलों से रंज गम जाना हुआ।
देखना चाहा तुम्हारा घर बड़ा,
यार का आँगन बड़ा महका हुआ।
चाह में तेरी अजी पागल बनी,
जब कहा सपना मिरा पूरा हुआ।
तंग दिल समझा जिसे तुमने बड़ा,
प्यार के काबिल बड़ा माना हुआ।
हम बड़े खुश आज देखो हो गये,
जब मिरा भोला सजन प्यारा हुआ।
घर से निकला राह पाने के लिये,
लग रहा है नाम पहचाना हुआ।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब