(1) ” स “, सपना ग़र सच करना चाहें,
तो, उठें नित अल सुबह सवेरे !
बन पंछी भरें परवाज गगन में……,
करते चलें सपनों को पूरे !!
(2) ” वे “, वेग संग नहीं उड़ना है यहां पर,
सतत बढ़ना है मंज़िल पे आगे !
हर बधाओं को करते यहां पार……,
जीतनी है जंग जीवन में हमें !!
(3) ” रा “, राह बनती चलेंगी सभी आसान,
जब होंगे हमारे दृढ़ निश्चय !
कभी टूटने ना दें मनोबल को……,
चलते रहें बनाए जीवन लक्ष्य!!
(4) ” सवेरा “, सवेरा नित जगाए चले आशाएं,
और भरे जीवन में उत्साह उमंग!
धूमिल पड़नी ना पाएं कभी कल्पनाएं…..,
सदा चलें भरते जीवन में रंग!!
(5) ” सवेरा “, सवेरा नित्य दिखाए जीवन दिशाएं,
उठकर करें सूरज को प्रणाम!
भरते चलें प्राणों में नव ऊर्जा……
निश्चित पाएंगे जीवन में मुकाम !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान