जो करेंगा नेकियाँ तर जायेगा,
आशना जग मे वही तो पायेगा।
रख भरोसा है खुदा की रहमतें,
हो नजर उसकी तभी मुस्कुरायेगा।
अब कहाँ मिलते हमें रहबर यहाँ?
शोख भी हमको बड़ा तड़फायेगा।
दर्द के बादल घिरे है आज तो,
आस रखती दिन सुनहरे आयेगे।
क्यो हिकारत से जमाना देखता,
कब तलक जग की तू सुनता जायेगा।
दूसरो का दर्द कब माना,कहाँ?
पत्थरो को और भी पथरायेगा।
तुम छुपा लो प्यार अपना *ऋतु भले।
प्यार तेरा फिर हमें महकायेगा।
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब