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मैं मजदूर हूँ, तुम मजदूर हो – हरी राम

मुझे ढोता देख कर ईंटा गारा,

भइया तुम्हें न जरा गुरुर हो।

गफलत में तुम क्यों घूम रहे,

मैं मजदूर हूँ तुम मजदूर हो।

 

तुम्हें माहौल मिला तुम पढ़े लिखे,

बाबू बन बैठ गए हो आफिस में।

मैं दैनिक मजदूरी पर काम करुं,

तुम काम कर रहो हो मासिक में।

 

तुम कोट, पैंट, टाई पहन रहे,

सो रहे हो ए सी और रजाई में।

मैं फटा पुराना पहन ओढ़,

दिन गुजार रहा मंहगाई में ।

 

जो काम के बदले ले वेतन,

भाई वह मजदूर कहलाता है।

कोई छाया में काम करे ,

कोई धूप में स्वेद बहाता है।

 

हम ही श्रमिक, मजदूर हम,

हम ही हैं देश के निर्माता ।

सिर ऊंचा कर गर्व से कहो,

हम ही हैं देश के भाग्यविधाता।

 

न शर्माओ मजदूर कहाने में,

मजदूरी कोई बौना कर्म नहीं।

श्रम करके जो जीविका कमाए,

उससे बढ़कर कोई धर्म नहीं।।

हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश

फोन –  7087815074

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