कृष्ण तुम्हारे प्यार की गाथा सुना दिया l
राधा जैसी थी ओ, दीवाना बना दिया l
फूल,पत्तियों सी सुशोभित,
गुलाबी मौसम सी लगती l
आँखे काली, कोमल काया,
नयनों से थी मुस्काती
उसकी पलकों की छाया में जीवन बिता दिया l
राधा जैसी थी ओ, दीवाना बना दिया l
कृष्ण तुम्हारे प्यार की गाथा सुना दिया l
न थी तुलसी की रत्नावली,
न घनानन्द की सूजन l
न कालिदास की विद्यात्मा,
न थी बोधा की सुभान
नैनो की मीठी वाणी से मुझे आलम बना दिया l
राधा जैसी थी ओ, दीवाना बना दिया l
कृष्ण तुम्हारे प्यार की गाथा सुना दिया l
न ही ओ थी कृष्ण की मीरा,
न ही लक्ष्मण की उर्मिला l
न ही थी ओ रुक्खमिणी,
न मजनू की थी लैला l
पहली ही मुलाक़ात में उसने, मुझे रांझा बना दिया
राधा जैसी थी ओ दीवाना बना दिया l
कृष्ण तुम्हारे प्यार की गाथा सुना दिया l
– जितेंद्र कुमार, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश