मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

छोड़ तेरा जिंदगी जाना हुआ,

दिल लगे जैसे ये वीराना हुआ।

 

जल रहे ये दीप खुशियों के बड़े,

यार को क्यो आज लुटाना हुआ।

 

जल रहे जुगनू से हम तो रात दिन,

दिल हमारा एक परवाना हुआ।

 

ढूँढता दिल अब सुकूँ हर हाल मे,

जिंदगी मे आज पछताना हुआ।

 

यार तुमसे हम न मिल पाये कभी,

लोग पूछे क्या ये बचकाना हुआ।

 

लाख बातें जिंदगी मे सब सहे,

यार हमको आज बहकाना हुआ।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब

Related posts

साहित्य अर्पण मंच पर काव्य गोष्ठी

newsadmin

समस्या – जया भराड़े बड़ोदकर

newsadmin

छप्पय छंद – प्रियदर्शिनी पुष्पा

newsadmin

Leave a Comment