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हालात कैसे भी हो खुश रहे – रेखा मित्तल

“कैसे हो,? ” बड़े प्यार से लोग पूछते हैं।

“अच्छी हूं” सब बढ़िया!” खुशी-खुशी बोलती हूं।

परंतु शायद वह भी “हां” ही सुनना चाहते हैं। आज की व्यस्त जिंदगी में किसी के पास ,किसी के मन की बात सुनने का समय ही नहीं है

मन खराब है, हर किसी को कह नहीं सकते। परेशानी या प्रतिकूल परिस्थितियां अपने तक ही सीमित रखनी पड़ती है। यही जिंदगी है। कई बार बिना दुख के भी मन, परेशान होता है!

कितने दर्द सीने में छुपाए बैठे हैं क्या बताए ?

हम क्यों, चेहरे पर मुस्कान चिपकाए रहते है।

– रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़

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