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मुक्तक – मधु शुक्ला

कृष्ण और राधा की पूजा, भाव  समर्पण  सिखा  रही।

मन के बंधन की दृढ़ता को, रीति  सनातन सत्य कही।

भक्ति भावना  मीरा  की जग, उनकी कविता में पढ़ता,

तज जग बंधन हरि दर्शन कर, अर्जित करता ज्ञान यही।

 

सखा  कृष्ण  को  मानीं राधा, अनुरागी थीं वे मन की।

मीरा ने  पति  माना उनको, अभिलाषा रख दर्शन की।

सच्चा  पावन  प्रेम न मिलता, जग में राधा मीरा सा,

हमें सिखायी रीति  उन्होंने, सीधी  सच्ची अर्चन की।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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