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दुःख का कारण – सुनील गुप्ता

हम स्वयं से दूर बने रहते

है यही हमारे दुःख का कारण  !

औरों की गलती ढूंढ़ा करते……,

है यही कष्टों का असली कारण !!1!!

 

हम जब तक दूर बनें रहेंगे

रहेंगे चिंतित और दुःखी   !

अपने ‘स्व’, में यदि यहां रहेंगे…….,

तो, रहेंगे प्रसन्न सदा सुखी !!2!!

 

बिना किसी कारण में उलझे

बने रहें स्वयं की प्रकृति में  !

चलें जीवन रहस्यों को समझते…..,

तो, रहेंगे सदा यहां आनंद में !!3!!

 

है दुःख का कारण हम स्वयं ही

और कोई दूजा है नहीं कारण !

हैं हम ही स्वयं के मित्र दुश्मन…..,

अपने उत्थान पतन का हैं कारण  !!4!!

 

है हमसे श्रेष्ठ सदा प्रकृति

और प्रकृति से उत्तम है ईश्वर  !

हम बंधे हुए हैं नियति से……,

बस, करते चलें कर्म समयानुसार  !!5!!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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