मनोरंजन

अंतिम यात्रा – सुनील गुप्ता

है जाना कहां

यहां सबको पता  !

चलते जा रहे….,

ना अता पता  !!1!!

 

कब कहां यहां

रुक जाना है  !

ना इसका…..,

पता ठिकाना है  !!2!!

 

बचपन से जवानी

और बुढ़ापा   !

तय करते मंज़िल….,

को पाना है  !!3!!

 

कोई आगे यहां

कोई पीछे   !

सब छूट रहे…..,

संग-साथ यहां  !!4!!

 

चलते जाना है

हमको बस  !

ना रोक सका……,

कोई यहां अब !!5!!

 

चैन कहां

हैं टूटी श्वासें  !

हो रही तेज…..,

यहां धड़कने  !!6!!

 

आ गया बुलावा

ठहर जरा  !

चलता हूं संग…..,

कहां मैं ठहरा  !!7!!

 

दो घड़ी मुझे

बस देखने दे   !

पीछे जो……,

छूटे जा रहा  !!8!!

 

सपनों को बुझते

देख रहा   !

संसार ये छूटा…..,

जा रहा  !!9!!

 

अब छोड़ दे

मोह माया को तू   !

बस चल दे…….,

जैसे आया है तू  !!10!!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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