मनोरंजन

चिंतन – मधु शुक्ला

कार्य  तभी सम्पादित  होते, सही  तरीके  से  अपने,

चिंतन आश्रित बुनते हैं जब, कल के हेतु नव्य सपने।

 

बिना  विचारे   कार्य  करे  जो, चिंता उसे  सताती है,

अपव्यय न हो धन, श्रम का यह,सोच नींद उड़ जाती है।

 

मिले सफलता तो जग पूछे, असफल पर जग हँसता है,

समझदार  तब  ही तो चिंतन, कर के  आगे बढ़ता  है।

 

दीप  बुद्धि  का  जब ईश्वर ने, सौंपा  है हमको प्यारा,

रखें  प्रज्वलित  उसको  हरदम, चिंतन के  ईधन द्वारा।

– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

भाई-बहन के प्यार, जुड़ाव और एकजुटता का त्योहार भाई दूज – प्रियंका सौरभ

newsadmin

फिर जीता कछुआ – अनीता ध्यानी

newsadmin

माँ आई मेरे द्वारे – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment