हे माँ हंसासनी तुम से यही प्रार्थना,
वीणा की मधुरिम तानों से,
हमारा जीवन मधुमय कर दो,
माँ पुस्तक धारणी यही मेरी वन्दना।
माँ कण्ठ सुशोभित कर दे मेरा,
स्वर लय का ज्ञान नहीं है माते,
संगीत का हमें वरदान दे दो,
माँ पुस्तक धारणी यही मेरी वन्दना।
अज्ञान मन में ज्ञान दे माँ,
नेक की राह बताओ माता,
राह हमारी आलोकित कर दो माँ,
माँ पुस्तक धारणी यही मेरी वन्दना।
हृदय सरोवर में नित तेरा वास हो,
मुख से माता तेरा ही गुणगान हो,
माँ जन-जन के प्रति प्रेम भाव हो,
माँ पुस्तक धारणी यही मेरी वन्दना।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड