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मेरी कलम से – डा० क्षमा कौशिक

आती हैं ,आया करें, बाधाएं सौ बार,

धीर तो रुकता नही,भले कठिन हो राह

पाकर रहेंगे लक्ष्य को, जो लेते है ठान,

विषम कटीली राह भी हो जाती आसान।

 

सुख छलिया ही रहा सदा रहा न साथ,

दुख भी थोड़े समय का नही रहेगा साथ,,

पतझर भी रहता नहीं कहां सदा मधुमास,

धूप छांव है जिंदगी तू क्यों हुआ उदास।

–  डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

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