मैं एक गृहिणी हूँ, पिछले चार-पांच महीने से मैं साईकिल गिरी के साथ साईकिल चला रही हूं । साईकिल चलाने से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। हम हर महीने चैलेंज लेते हैं और ज्यादा से ज्यादा साईकिलिंग करने की कोशिश करते है।
एक बड़ा परिवर्तन जो मैंने पाया कि हमें छोटे-छोटे काम साईकिल पर करने चाहिए जैसे मार्केट से कुछ लाना है । मैं सेक्टर-43 में रहती हूं। वहाँ पर ऐसी कोई बड़ी मार्केट नहीं है, तो मैं सेक्टर-35 और सेक्टर 44 की मार्केट जाती हूं। वह काम में साईकिल पर करना पसंद करती हूं।
मैं अपने सभी मित्रों और बंधुओं को यह संदेश देना चाहती हूं कम से कम सप्ताह में एक बार, अपनी कार को छोड़कर साइकिल की सवारी कीजिए। मैं दावे से कह सकती हूं कि आप अपनी राइड को अवश्य इंजॉय करेंगे । चंडीगढ़ में तो साईकिल चलाना और भी आसान है।
साइकिल की सवारी करते हुए मन बच्चा सा बन जाता है। ट्रैफिक कम होगा, प्रदूषण कम होगा ,सेहत भी ठीक रहेगी और मन तो स्वस्थ रहेगा ही!!
“कैसे हो,?” बड़े प्यार से लोग पूछते हैं।
“अच्छी हूं” सब बढ़िया!” खुशी-खुशी बोलती हूं।
परंतु शायद वह भी “हां” ही सुनना चाहते हैं। आज की व्यस्त जिंदगी में किसी के पास, किसी के मन की बात सुनने का समय ही नहीं है
मन खराब है, हर किसी को कह नहीं सकते। परेशानी या प्रतिकूल परिस्थितियां अपने तक ही सीमित रखनी पड़ती है। यही जिंदगी है। कई बार बिना दुख के भी मन, परेशान होता है!
कितने दर्द सीने में छुपाए बैठे हैं क्या बताए ?
हम क्यों, चेहरे पर मुस्कान चिपकाए रहते हैं
– रेखा मित्तल, सेक्टर-43 , चंडीगढ़