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मां के नाम एक गीत लिखूं – सुन्दरी नौटियाल

नदियां, लिखूं, झरने लिखूं, या घटाएं लिखूं,

या सुख देता संगीत लिखूं,

माँ तेरे नाम एक गीत लिखूं।

कल भी लिखूं और अतीत भी लिखूं,,

माँ तेरे नाम………….

मनमीत लिखूं ,या नित, प्रीत लिखूं,

देख तुम्हारी ममता मय आंखें, प्रेम भरा,

एक शुभ गीत लिखूं,,

माँ मैं………………,

कोई पूछे कैसी हो तुम,

तो फिर शीतकाल की  सुनहरी धूप लिखूं,,

समर्पण लिखूं, क्या माँ देवकी जैसा,

या माँ यशोमति ममता का प्रति रूप लिखूं,,

माँ तेरे …………….,

कानो को जो जीवन देती हो

क्या मैं ऐसी आवाज लिखूं,,

फूलों जैसे कोमल मन नाजुक हाथ  तुम्हारे, प्यारा सा स्पर्श लिखूं,,

माँ तेरे ……………….,

माँ जब आती हो तुम पास हमारे , लगता है ज्यों प्रकाश मय भोर हुई,

प्रीत भरी मुस्कान तेरी देख  हृदय मेरा मैं भाव विभोर हुई,,

माँ जैसे गिरता झरना शीतल  वैसी है नजर तुम्हारी,

सुख पाती हूं सिर रख कर मैं ऐसी सुखमय  गोद तुम्हारी,

कोई पूछे स्वर्ग कहां है तो तुझको ही मनमीत लिखूं,,

बैठूं पास माँ तुम्हांरे मैं तुम्हें देख कर गीत लिखूं,

आज लिखूं , अतीत लिखूं नित..नित लिखूं प्रीत लिखूं,,

माँ मैं एक  गीत लिखूं।

– श्रीमती  सुन्दरी नौटियाल (शोभा ), देहरादून उत्तरखंड

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