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ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

उसने क्या बर्वाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

राजनीति को खाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

सच्चाई कोसी है उसने अपनी ओछी हरकत से ,

सेना पर  संवाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

रोजाना घुलता मिलता है जैसे कोई अपना हो ,

नफ़रत का उन्माद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

मान बढ़ाया हमने उसका सत्ता भी  दिलवाई थी,

उसने छल उत्पाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

मौसम जैसे करवट लेता ऐसे रंग बदलता है ,

रिश्तों में अवसाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

साथ निभाया हमने उसका मौसम झंजावातों में,

उसने कितना याद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

 

“हलधर”मान बढ़ाते उसका दूर दूर तक दुनिया में ,

उसने तल्ख़ फ़साद किया है ये उसको अहसास नहीं ।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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