मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

ज़िंदगी, मौत में ये सुलह हो गयी ।

नींद सपने सजाकर कलह बो गयी ।।

 

मोड़ पे हम मिलें साथ वादा किया ।

काम पूरा नहीं सिर्फ़ आधा किया ।।

सिलसिला जीवनी का शुरू हो गया,

जिंदगी की हमारी वजह खो गयी ।।

ज़िंदगी,मौत में ये सुलह हो गयी ।।1

 

देह भी साथ उसके खड़ी हो गयी ।

प्राण को ये लगा वो बड़ी हो गयी ।।

देह गलती रही साथ चलती रही ,

देख जिंदा झमेले वो ख़ुद रो गयी ।।

ज़िंदगी ,मौत में ये सुलह हो गयी ।।2

 

मैं कहाँ हूँ गलत ये मुझे अब बता ।

सामने वार कर यूँ न मुझको सता ।।

हौसलों का शजर मान मेरा सफ़र ,

छोड़ दावे पुराने कहां सो गयी ।।

ज़िंदगी ,मौत में ये सुलह हो गयी ।।3

 

गम मुझे जो मिला मैंने माना सिला ।

गैर अपने पराए करूं क्या गिला ।।

दर्द पीता रहा घाव सीता रहा ,

पाप “हलधर” किए लेखिनी धो गयी ।

ज़िंदगी ,मौत में ये सुलह हो गयी ।।4

-जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

Related posts

आओ दौड़े – सुनील गुप्ता

newsadmin

पूर्णिका – मणि बेन द्विवेदी

newsadmin

आप भी कर सकते हैं रत्न परीक्षा – डॉ. उषा किरण ‘त्रिपाठी’

newsadmin

Leave a Comment