यहाँ जिंदगी में झमेले बड़े हैं।
लगा भीड़ में हम अकेले खड़े हैं।
न परवाह है अब किसी की यहां पर,
सभी मुश्किलों से हमीं खुद लड़े हैं।
सदा जिंदगी को स्वयं से सँवारा।
मिला जो गरल वो गले से उतारा
सफलता मिली तो न गर्वित हुए हम,
न दुश्वारियों में किसी को पुकारा।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश