मनोरंजन

समय – मधु शुक्ला

समय की वंदगी बिन सुख न मिलता,

रहे जब साथ जीवन पुष्प खिलता।

 

समय के साथ जो चलता नहीं है,

मुकद्दर का दिया जलता नहीं है।

 

नहीं  बलवान  कोई  वक्त  जैसा,

समय से आज तक जीता न पैसा।

 

समय अभिमान को टिकने न देता ,

दिखा औकात बन जाता विजेता।

 

कहें ज्ञानी समय के साथ चलना,

पड़े रवि को उसी के साथ ढलना।

 

समय से मित्रता उन्नति दिलाये,

वही तो खार को मखमल बनाये।

– मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

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