मनोरंजन

प्रवीण मुक्तक – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

चार दिन को जाइये फिर से प्रकृति की गोद में।

दिल जरा बहलाइये फिर से प्रकृति की गोद में।

एक नवजीवन मिले हो शांत अंतर्मन पुनः,

लौट वापस आइये फिर से प्रकृति की गोद में।

आखिर कौन –

अगर पीर की बातें सारे लोग करेंगे,

नेह दया की बातें तब फिर कौन करेगा।

कष्ट बहुत से पग-पग बिखरे हैं,

उन्हें भूलने खातिर मलहम कौन रखेगा।

जीवन मे होते प्रतिदिन संघर्ष बड़े,

इन्हें शमन करने की बातें भी करिये,

शोर भरी दुनिया में व्याकुल जब सारे,

सन्नाटों की आवाजें अब कौन सुनेगा।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

हर्रई के किले से कमलनाथ का गढ़ ढहाने की कोशिश – पवन वर्मा

newsadmin

क्यों लड़ रहे लोग भला – हरी राम यादव

newsadmin

एस.बी.एम जैन स्कूल में मातृ दिवस पर माताओं में जोश – प्रीति शर्मा

newsadmin

Leave a Comment