मनोरंजन

जल प्रदूषण (मुक्तक) – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

जहां सख्त शासन होता है, वहीं प्रगति कुछ दिखती है।

कार्ययोजना लागू होकर, वहीं सिरे से चढ़ती है।

भागीदारी जब तक सब की, अगर नहीं होती इसमें,

तब तक माता तुल्य हर नदी, दंश प्रदूषण सहती है।

<> 

हल्ला केवल तब ही मचता, जब कोई त्योहार हो।

कुंभ सरीखे मेले जैसा, दिखे आस्था ज्वार हो।

जनता के जब वोट चाहिये, नींद तभी तो खुलती है,

तुरत-फुरत के कर उपाय कुछ, चाहें बेड़ा पार हो।

<> 

समय आ गया हर स्तर पर, मिल कर सभी प्रयास करें।

मानव की लापरवाही से, जीव-जंतु अब नहीं मरें।

प्राणवायु का स्तर जल में, फिर से अब बढ़वाना है,

पीर स्रोत जल के जो सहते, उसको हम सब आज हरें।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

आज के दिन – प्रीती शर्मा

newsadmin

देवभूमि भारत – मुकेश कुमार दुबे

newsadmin

उसे पा लूँ – स्वर्ण लता, कोई भाता नहीं है – स्वर्णलता

newsadmin

Leave a Comment