मनोरंजन

रचना को परनाम है – अनिरुद्ध कुमार

हारे का हरिनाम है।

यह जीवन संग्राम है।

 

जबले प्राण लगे रहो,

हर प्राणी का काम है।

 

भूख सताये रातदिन,

सोंच कहाँ आराम है।

 

जीना मरना रातदिन,

सबका अपना काम है

 

मंदिर मस्जिद झाँकले

यह तो तीरथ धाम है।

 

चाहत सबका एक है

बोल कहाँ विश्राम है

 

सर्वविदित यह रीत है

रचना को परनाम है

– अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड

Related posts

भजन- झरना माथुर

newsadmin

इहाँ चलेला ना मनमानी – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

कविता – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment