लच लच लचके बहगिया पिया छट घाट पहुंचाय!
मच मच मचके केरवा घवदिया देवरु घाट पहुंचाय!
बांझीन के कोख खाली देले हमके लोगवा गारी !
गोदिया बा सुनी हमरो मांगी हम बालक खाली!
कईली छट बरत माई आज हम नहाय खाय!
देई दा ललनवा अब खेले मोर अंगनवा!
हर साल करी तोर पूजनवा आंसू भरीके नयनवा !
मथवा पर धई के दउरिया पिया छट घाट जाय !
पैसा ना रुपया करी कइसे तोर बरतवा!
होखा ना सहइया मइया इहे मोर बिनतवा!
फेरा ना नजरिया मइया मनसा पुरण होई जाय!
– श्याम कुंवर भारती , बोकारो झारखंड , Mob. 995-5509-286