एक एहसास
एक कसक
इक दर्द
एक दवा
एक नशा
इक दुआ
एक नगमा
एक धुन
एक नीरव खामोशी।
एक कोलाहल
धडकनो मे
सोच मे
आंखों मे
भावों मे चेहरे के
हर घडी
हर पल
हर कहीं
यह प्यार ही तो है।
गर समझ लो
तुम इसे तो
तुम्हारी हूँ वरना
मेरी भी नही
मैं…..?
….✍सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर