मनोरंजन

ओ सजन – किरण मिश्रा

शारदीय रात्रि,

ले रहा मधु चुबंन,

विधु मृदुल चाँदनी गात।

 

चंचल-चपला यामिनी,

पुलकित मधुर सुहावनी,

नृत्यांगना, नक्षत्र तारों की बारात ।

 

गीत गाती मनभावनी ,

अद्भुत प्रत्यंग लुभावनी

मदिर-मदिर रागिनी,

छेड़ रही मलयानिल बयार।

 

सुगन्धिनी ,सुवासिनी,

स्वेद वस्त्रधारिणी,

उत्तानमुखी कुमुदिनी,

भीनी-भीनी सुहासिनी, उन्मादिनी

उन्मत्त भ्रमर डोले, पंक-अंक ताल।

 

कंपित अधरावली,

बिखरती अलकावली,

आस डूबते दृगताल,

कामिनी,अर्धान्गिनी,

ह्रद मंदिर दीपक जला,

बाट जोहती सुहागिनी,

आ रही चौथ करवा रात।

 

आ आ भी जा, अब ओ सजन ….

दे दे मुझे बैठती, इन साँसों की सौगात!!

 

शारदीय रात्रि

ले रहा मधु चुबंन, विधु मृदुल चाँदनी गात।

– डाॅकिरणमिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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