मनोरंजन

जो कहते हो – अनुराधा प्रियदर्शिनी

जो कहते हो वही करना,

इसी से पहचान बनती है,

जो मुखोटे लगाते हैं,

एक दिन मुखौटा उतरता है,

जब मुखौटा उतरता है,

शर्मसार करता है।

 

जो कहते हो वही करना,

जिंदगी आसान होती है,

चेहरे की मुस्कुराहट में,

चमक बरकरार रहती है,

लोग खींचते चले आते,

जिंदगी गुलजार लगती है।

 

जो कहते हो वही करना,

सत्य के पास रहते हो,

सच सूरज सा होता है,

भोर होकर ही रहती है,

किरणें जब बिखरती हैं,

अंधेरे को मिटाती है।

 

जो कहते हो वही करना,

वचन का मान रहता है,

हमारा धर्म है प्यारे ,

वचन जान से प्यारा होता है,

वचन के वास्ते ही तो,

नया इतिहास बनता है।

-अनुराधा प्रियदर्शिनी

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

Related posts

गजल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

गीत – झरना माथुर

newsadmin

Leave a Comment