मनोरंजन

गज़ल – किरण मिश्रा

तेरी नज़रों मे ढल रही हूँ ,

इश्क का.. कमाल है ये।

 

तेरे ख्वाबों में पल रही हूँ,

इश्क का… कमाल है ये।

 

मै कुछ कुछ बदल रही हूँ ,

इश्क़ का…कमाल है ये।

 

तेरे  वादों पे चल रही हूँ,

इश्क का …कमाल है ये।

 

तेरे साँचे में  ढल रही हूँ ,

इश्क का …कमाल है ये।

 

मैं तुझपे मचल रही हूँ,

इश्क़ का..कमाल है ये।

 

तेरी साँसों से जल रही हूँ ,

इश्क का ..कमाल है ये।

 

तेरे मन  में टहल रही हूँ ,

इश्क़ का…कमाल है ये।

 

जाने कैसे फिसल रही हूँ ,

इश्क का …कमाल है ये।

 

#डाॅकिरणमिश्रा स्वयंसिद्धा,

नोएडा , उत्तरप्रदेश

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