मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

नई मंजिलें हैं नए काफ़िले हैं ।

नई राह जुडतीं नए फासले हैं ।।

 

गई छूट बस्ती जहां से चले थे ।

वहीं एक घर में सभी हम पले थे ।

पुराना जमाना कहाँ खो गया है ,

बनाते दिखें सब हवा में किले हैं ।।

नई मंजिलें हैं नए काफ़िले हैं ।।1

 

कहाँ गुम हुई हैं पुरानी प्रथाएं ।

कहाँ गुम हुई हैं सुहानी कथाएं ।

हमें वक्त की बद्दुआ लग गयी है ,

सगे कोख रिस्ते लगा अब हिले हैं ।।

नई मंजिलें है नए काफ़िले हैं ।।2

 

सभी बाल बच्चे बड़े हो गए हैं ।

सभी पांव अपने खड़े हो गए हैं ।

हमें देख कर भी न सहमें जरा से ,

नया है जमाना नए सिलसिले हैं ।।

नई मंजिलें हैं नए काफ़िले हैं ।।3

 

कहीं शुष्क मौसम कहीं तेज धारा ।

कहीं बाढ़ आयी कहीं शीत पारा ।

नया रोज मौसम चुनौती भरा है ,

सितारे डरे हैं समंदर हिले हैं ।।

नई मंजिलें हैं नए काफ़िले हैं ।।4

 

कहाँ से चले थे कहाँ आ गए हैं ।

हवा धूप पानी सभी खा गए हैं ।

अभी भी समय है जमीं को बचा लो ,

हुए क्षुब्ध “हलधर” नहीं बाबले हैं ।।

नई मंजिलें हैं नए काफ़िले हैं ।।5

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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