तमन्नाओं को गले मैं लगा न सकी,
बात दिल की ..तुम्हें मैं बता न सकी!
मन की हसरत सजोंये रही उम्र भर,
इश्क़ दामन में .अपने सजा न सकी!
बनके बदली बरसती रहीं नेह की,
आग सीने की .अपने बुझा न सकी!
दामन अश्कों से भीगा रहा उम्र भर,
दिल के जख्मों को ,अपने सुखा न सकी!
मजबूरियों पर, कुर्बान साँसे मिरी,
रंग चाहत का.. इन पर चढ़ा न सकी!
शम्मा इन्तजार की शब भर जलाती रही,
चाँद आँगन में …अपने बुला न सकी!
अपनी किस्मत पे रोयी #किरण उम्रभर,
इक सूरज भी ..हथेली पर उगा न सकी!
#डा0 किरणमिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा, उत्तर प्रदेश