मनोरंजन

गज़ल़ – किरण मिश्रा

तमन्नाओं को गले मैं लगा न सकी,

बात दिल की ..तुम्हें मैं बता न सकी!

 

मन की हसरत सजोंये रही उम्र भर,

इश्क़ दामन में .अपने सजा न सकी!

 

बनके बदली बरसती रहीं नेह की,

आग सीने की .अपने बुझा न सकी!

 

दामन अश्कों से भीगा रहा उम्र भर,

दिल के जख्मों को ,अपने सुखा न सकी!

 

मजबूरियों पर, कुर्बान साँसे मिरी,

रंग चाहत का.. इन पर चढ़ा न सकी!

 

शम्मा इन्तजार की शब भर जलाती रही,

चाँद आँगन में …अपने बुला न सकी!

 

अपनी किस्मत पे रोयी #किरण उम्रभर,

इक सूरज भी ..हथेली पर उगा न सकी!

#डा0 किरणमिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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