विश्व शांति की जगत जननी,
हे मेरी प्रिय भारत माता ।
भरत वंश की बेला तु,
बहुत लंबी हैं तेरी गाथा ।
देव गंधर्व यहां अभिलाशी,
ऋषि मुनि ह्रै यहां निवासी।
चारो वेद लिखे यहां,यहां है ज्ञाता।
बहुत लंबी हैं तेरी गाथा।
तीन ऋतु और धनसंपदा,
देख हुए आक्रमनकारी हुये ज्यादा ।
करने लगे लुटपाट,हुई दुःखी भारत माता ।
बहुत लंबी हैं उनकी गाथा ।
आजादी की जंग लडी फिर,
वीर जवान शहिद हुये फिर ।
रक्तरंजित शरीर ,उँचा माथा,
आजादी की हैं लंबी गाथा ।
आज आजादी का अमृतउत्सव,
चारो तरफ हैं माँ खुशहाली ।
चारो तरफ हैं माँ आनंदित स्वर ।
बढ़ रहा,माँ भारत विश्वगुरु की ओर ।
✍️प्रदीप सहारे, नागपुर, महाराष्ट्र