मनोरंजन

प्रवीण प्रभाती – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

वृषभ सवारी करें दुखियों के दुख हरें

अंग पे भभूति मलें कर त्रिशूल धारते।

 

तन पे न है दुशाला मात्र धारें मृग छाला

कैलाश के वासी प्रभु हिम पे विराजते।

 

दानियों में दानवीर मन में जो रखें धीर

खोल नेत्र तीसरा वे असुर संहारते।

 

व्रत सोमवार करें शिव जी भंडार भरें

आस लेके हिय भक्त द्वार पर पुकारते।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा उत्तर प्रदेश

Related posts

कविता – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

प्रकृति से खिलवाड़ – मीना तिवारी

newsadmin

अतिक्रमण महिषासुरों का बढ़ा – प्रियदर्शिनी पुष्पा

newsadmin

Leave a Comment