मनोरंजन

सच है – जया भराडे

कविता मिलती हैं मुझे
खेतों में खलिहानों मे
जहाँ किसान के पसीने
की बूंद बूंद झुलसती है
जहाँ कष्टों की दुनिया
बसती है।

ये बारिश की बूंदों में
जहाँ धरती माँ की
प्यास बुझाती है
सुकूँ संतोष हो वहां
गलती से भी नही
झाँकती है।

ये तो वहाँ खेलती हैं
जहाँ  शरारती बच्चा
अपनी मस्ती के धुन मे
सारी दुनिया को अपनी
नटखट खुशियों में
डूबा देता है।

कविता के शब्द मुझे
बादल की उड़ती फिरती
बारिश में दिल को
गिला कर जाते है
रह रह के फिर वो
धरती माँ के लिए
हरे हरे रंग के वस्त्र मे
बिछ जाते है।

हाँ ये सच है
मेरी कविता मुझे
हर एक जगह एकदंम
अकेली ही नज़र आती हैं
पर जब भी आती हैं नज़र
तो मुझे वो
मेरे प्राणों मे जैसे
प्राण फुंक जाती हैं
बलिदान मांगती है वो
अपने ही साथ साथ
बिताए हुए सुख के
पलों का।

बयान करती हैं वो
फिर पर हित, धर्म,कर्म  का
शांति के सकूँ भरे
हुए जीवन में
प्रकुति प्रेम के
अहसानों का।  .

सच है सत्य है
कविता मेरी जिंदगी है
मुझे मेरे दिल में
उलझनों से मुझे
बचाती है और
जीवन को रोशन
कर जाती है।
– जया  भराडे  बड़ोदकर
नवी मुंबई, महाराष्ट्र

Related posts

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

एक बेटी हूँ – जितेंद्र कुमार

newsadmin

गौरेया – रेखा मित्तल

newsadmin

Leave a Comment