मुफलसी में हमको तो ये सताना तेरा।
याद में दिल को हमारे ये दुखाना तेरा।
दिलकशी थी सब बातें जब देखी सारी।
ये अधर में हमको आज भुलाना तेरा।
तड़फते थे न मिले जब गलियों मे मेरी।
दूर से देख, के अब तो शरमाना तेरा।।
फाँस दिल में चुभती थी अब बाते तेरी।
दर्द देती जब तडफन मिल पाना तेरा।
याद करते जब मिलते न बहाने से तुम।
सोच लेगे इक दिन यार मनाना तेरा।
भूल जा वो खत हमने लिखकर वो फाड़े।
दर्द हमने सह कर भी अब जाना तेरा।
जिंदगी में चल देते अकसर ऋतु साथी।
हार कर के चल देना कि जलाना तेरा।
– ऋतू गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़