मनोरंजन

देखना चाहता हूँ – प्रियदर्शिनी पुष्पा

एक बार कुछ लिख दो

मेरे लिए..

तेरे शब्द शब्द बन जाए

मेरी प्रेरणा

अपने भावनाओं को

शब्दों में उड़ेल

भर दो ना मेरे जीवन में उमंग

लिखना ….

ऐ जिन्दगी!

मत बाँधो खुद को

अपने दायरे में

मैं तुम्हें उड़ते देखना चाहता हूँ

तेरे लबों पर

इठलाती खुशियाँ देखना चाहता हूँ

जो दर्द छुपा है तेरे मन में

उसे मेरे नाम कर

मेरे मन के आँगन में

तेरी खिलखिलाहट की गूँज

देखना चाहता हूँ।

तेरे ख्वाबों को विस्तृत

देखना चाहता हूँ

तेरे दामन में

रौशन होना चाहता हूँ

तोड़ कर उदासियों की जंजीर

तुम संग मुस्कुराना चाहता हूँ

हो जाती निहाल मैं

कर देती तेरे सपनों

को साकार मैं

जब लिखते तुम कुछ ऐसा

मेरे लिए

सिर्फ मेरे लिए …………

– प्रियदर्शिनी पुष्पा, जमशेदपुर

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