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दिल में औरों के रहता जो, वो नाम अमर कर जाते हैं – अशोक गोयल

neerajtimes.com पिलखुवा – भारत माता अभिनंदन संगठन द्वारा विराट मासिक काव्य संध्या का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय संगठन मंत्री वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार कवि अशोक गोयल ने की। मुख्य अतिथि चंद्र प्रकाश गुप्त ओज के वरिष्ठ कवि रहे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवयित्री रितु गर्ग रहीं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवयित्री मंजीत कौर  रहीं,  वंदना मुक्ता शर्मा ने कार्यक्रम को गति प्रदान की। मीडिया प्रभारी गुरुदीन वर्मा के अनुसार कार्यक्रम का संचालन नीलम मिश्रा ने बड़े सुचारु रूप से किया। कवि अशोक गोयल ने कहा जिंदा लाश कहेंगे उनको जिनके जमीर मर जाते हैं,यह सब कृत्य करें इंसा जब, तब जीते जी मर जाते हैं। रेखा गिरीश ने कुछ इस प्रकार कहा- बात है सिक्का बन जाती,वह अगर उछाली जाती है।

नीलम मिश्रा तरंग ने अपने गीत की प्रस्तुति इस प्रकार की – गरजो तुम अब बादरा,धरा हुई बेचेन। अरुणा पवार ने कहा उपदेशों से कामना होगा भाई भरत सा बनना होगा । पूनम शर्मा ने कहा दुर्भाग्य वापस जा रहा है सौभाग्य द्वार खटखटा रहा है। गीता सचदेवा ने कहा – तुझे दूर से चाहना चाहता हूं ,धरा पर गगन सा छाना चाहता हूं । रीना मित्तल ने कहा- भारत में जन्मे राम कृष्ण हर हिंदुस्तानी के पूर्वज है।। ऊषा भिड़वारिया ने कहा आया-आया त्यौहारों का मौसम आया। नंदिनी रस्तोगी ने कहा- तेरे स्पर्श से मोम की तरह पिघल जाऊंगी। राम कुमारी ने कहा- पाया है जिगर जिसने मर मिटने का वतन पर । ऋतु अग्रवाल ने कहा आवाम की गुस्ताखियों से परेशान रहती हूँ।मुक्ता शर्मा ने कहा – अपनी तो आन बान और शान यही है। करते हैं जिसपे नाज़ वो पहचान यही है। कुमार आदेश शिखर के विचार इस प्रकार थे- बिन दहेज के ब्याह दी बेटी, पिता बहुत हर्षाया था। इकलौता वारिस पा करके, थोड़ा मन ललचाया था । भावना शर्मा ने कहा कौशल्या की आँख के तारे, पितु दशरथ के राजदुलारे। नीलम सिंहल ने कहा-बैठ तुम्हारे साथ कहीं,फुर्सत के लम्हों में,बस यूं ही कुछ

कहना,सुनना अच्छा लगता है ।तरुण रस्तोगी ‘कलमकार’के शब्दों में हाल दिल का सुनाना चाहता हूंँ, ज़ख्म अपने तुम्हें दिखाना चाहता हूँ! राजरानी कहती हैं-तोड़ा गया है दिल हमारा भी कई बार,पर हमनें मोहब्बत से किनारा नहीं किया। अंत में नीलम मिश्रा तरंग ने सभी का आभार व्यक्त किया।

 

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