कैसे ध्यान धरु मै तेरा,
आशा तृष्णा ने मुझे घेरा।
जब भी तेरे द्वार पे आऊँ ,
एक नयी मुराद लेके आऊँ,
कम न हो इच्छाओ का घेरा,
कैसे ध्यान धरु मै तेरा।
जो तूने मुझे भुला दिया,
क्रोध को अपना लिया,
लगे ना मन सेवा मे मेरा,
कैसे ध्यान धरु मै तेरा।
कैसे ध्यान धरु मै तेरा,
आशा तृष्णा ने मुझे घेरा।
झरना माथुर , देहरादून , उत्तराखंड