आपने हम से किनारा कर लिया है,
इश्क हमने भी दुबारा कर लिया है।
भूल जाना ही उचित है बेवफाई,
मान कर दिल की गुजारा कर लिया है।
त्याग कर जग के सभी झूठे सहारे,
ईश का हमने सहारा कर लिया है।
लाजिमी है भावनाओं का मचलना,
चाँद तारों का नजारा कर लिया है।
सोचती है ‘मधु’ लिखे अपना मुकद्दर,
जीस्त को हँस कर शरारा कर लिया है।
— मधु शुक्ला . सतना, मध्यप्रदेश