neerajtimes.com जबलपुर (मध्यप्रदेश )- संयुक्त राष्ट्र ने अपने काम काज में हिंदी को शामिल कर लिया है जो कि बहुत ही प्रसन्नता की बात है। हिंदी दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई यह हर हिंदी भाषी के लिए गौरव की बात है। विश्व पटल पर हिंदी अब प्रकाशमान होगी जो कि एक सुखद अहसास है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की छह आधिकारिक भाषाएं हैं। इनमें अरबी, चीनी (मैंडरिन), अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश शामिल है। इसके अलावा अंग्रेजी और फ्रेंच संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की कामकामी भाषाएं हैं। लेकिन अब इसमें हिंदी को भी शामिल किया गया है। इसका साफ मतलब यह है कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज, उसके उद्दश्यों की जानकारी यूएन की वेबसाइट पर अब हिंदी में भी उपलब्ध होगी।
प्रेरणा हिंदी प्रचार सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने कहा कि अब हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त हो जो कि हर हिंदी भाषी की अभिलाषा है जिससे देश में हिंदी को उसका वास्तविक स्वरूप व सम्मान प्राप्त हो। हिंदी कई देशों में बोली जाती है और लोकप्रिय है। हिंदी भाषा अपने आप में समृद्ध व वैज्ञानिक भाषा है जिसे अधिक से अधिक उपयोग में लाकर अपनी संस्कृति व सभ्यता को हम और अधिक समृद्धशाली बना सकते है। आज भी विदेशी भारत की गरिमामय संस्कृति को बहुत ही सम्मान की दृष्टि से देखते है और उसे अपनाने पर खुशी जाहिर करते है।
प्रेरणा हिंदी प्रचारणी सभा के सर्वश्री धर्म प्रकाश वाजपेयी अध्यक्ष युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी संस्थान व सुप्रसिद्ध सिविल सेवा गुरु, अंतर्राष्ट्रीय कवि डाँ सी एम गुप्ता अटल, शिवेश्वर दत्त पाण्डेय समूह संपादक, रुपेश कुमार सिंह, कृपा शंकर तिवारी, पी.एल.सोनी , मन्तोष भट्टाचार्य, सुशीला जोशी, अशोक चंद्र दुबे ‘अशोक’, अशोक गोयल, श्रीकृष्णा द्विवेदी ‘अज्ञान’, श्रीमती अनीता गौतम, घनश्याम शर्मा, सुव्रत दे, श्रीमती वाणी कर्ण, डॉ गिरजा शर्मा, उदय राज वर्मा ‘उदय’, डॉ हरेन्द्र हर्ष, स्वामी गगन सेन गुप्त, विश्व भूषण गुप्त, संजीव कुमार सिंह, कोकिला इन्दु कुमारी, अजय कुमार सिंह, कवि कुमार निर्मल, शिवनारायण त्रिपाठी, कवियित्री अंजना सिंह, युवा कवि स्वप्निल जैन, कृष्ण कुमार पांडेय, डॉ कुसुम चौधरी, जी.विजय कुमार, जसवंत राठोड, रीना अग्रवाल, माला श्रीवास्तव, श्रीमती पूजा अग्रवाल, अनिल शुक्ला, मिथिलेश कुमार सिंह,किशनलाल अग्रवाल, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, श्रीमती सुजाता सिन्हा, सरस्वती मल्लिक, संजीव ठाकुर, योगिता चौरसिया, डॉ प्रतिभा गर्ग, प्रमोद कुमार दुबे, ज्योति जैन, डॉ लाल सिंह किरार, डॉ निराला पाठक, डॉ मीना कुमारी सोलंकी ‘मीन’, राजपाल यादव, दिनेश सेन ‘शुभ’ , सर्वेश सिंह, रामनिवास तिवारी, रामचंद्र प्रसाद कर्ण, रीतेश दुबे, डॉ अजीत श्रीवास्तव” चपाचप बनारसी, शैलेश सिंह कुशवाह, डॉ इन्द्रकुमार शर्मा, इंद्रजीत तिवारी निर्भिक, प्रदीप मिश्रा ‘अजनबी’, विनोद कश्यप, ललित डोभाल ‘अल्पज्ञ’, डॉ दिनेश व्यास ‘ललकार’, अन्नपूर्णा पवार “आहूति”, मनोहर सिंह चौहान ‘मधुकर’, सुषमा खरे, एल.एस..तोमर, कवि राम सिंह, गोपाल दास गुप्ता, डॉ रंजना साहू बारीक, रामकिशोर राम, सुरेश जायसवाल “अहम”, मणिबेन द्विवेदी, श्री गणेश प्रसाद प्यासा जबलपुरी, आरती अशेष चिटकारिया, डॉ बाल कृष्ण महाजन, श्रीमती प्रवीण मेहता, कल्पना गुप्ता, प्रीति शर्मा असीम, धर्मेन्द्र कुमार धर्मी, पूरन प्यारे पटेल, लोकेश्वरी कश्यप, कृष्ण मुरारी लाल ‘मानव’, कवि कमल भट्ट साहेब, विशाल लोधी, प्रहलाद सबनानी, जयदीप खरे, शिरीष नंदन श्रीवास्तव, कवि त्रिभुवन प्रजापति, रविशंकर बिलगैया (रवि), शिवांश पाराशर राही, शशि कांत “शशि”, श्री गुरुदीन वर्मा “आजाद”, कवि राजीव खरे, मणिबेन द्विवेदी, डॉ मलकप्पा अलियास महेश, अजय कुमार पांडेय, चंद्रमणि ओझा, हरिकांत अग्निहोत्री ‘महर्षि’, बलराम यादव, रश्मि पांडेय शुभि, अनामिका अर्श, राहुल शामकुवर, टी.एस.शान्ति, ओमप्रकाश बबलू, ए.के.पांडेय, कवि विशाल ब्रह्मभट्ट, अशोक कुमार जाखड़ ‘निस्वार्थी’, अतुल मिश्रा, प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ माधुरी त्रिपाठी, ममता कुशवाहा, अपूर्वा दे, निक्की शर्मा रश्मि, कमल नारायण सिंह, वेदस्मृति कृती, राजीव डोंगरा, डॉ नूतन सतपथी, सावित्री मिश्रा, डॉ संगीता तिवारी, हिना शाह, विनोद कुमार पांडेय, डॉ सत्यम भास्कर, अशोक त्रिपाठी माधव, डाॅ देवदत्त द्विवेदी सरस, एन.के.सरस्वती, दीनदयाल सोनी, के.एल. सोनी विनोदी, अखिलेश कुमार शर्मा, साहित्याचार्य शास्त्री दीपक जैन ‘ध्रुव’, कवि गोपाल जाटव विद्रोही, जलज शर्मा शायर, नंदलाल मणि त्रिपाठी, वृंदावन राय सरल, प्रमोद जैन,बंशीधर पोरवाल, राजेश तिवारी मक्खन, संध्या शर्मा मिश्रा, राघवेन्द्र मिश्रा, डॉ मंजुला साहू निर्भिक, अलका ‘सोन’, दिलीप अग्रवाल, कल्पना मिश्रा, डॉ उमा मेहता, पप्पू सोनी, सुनीता चतुर्वेदी, डॉ सुबाष चंद्र, यशवंत यादव, बृजेश शर्मा, श्रीमती झरना मुखर्जी, सरिता चौहान, डॉ रजनी अग्रवाल वाग्देवी रत्ना, सुनीता जौहरी आदि कवियों, साहित्यकारों, मनीषियों ने देश भर से संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को शामिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।