उत्तराखण्ड

एचसीएल फाउंडेशन ने देहरादून में आयोजित किया एचसीएल ग्रांट पैन इंडिया सिम्‍पोजियम 2022 “राष्ट्र निर्माण के लिए सीएसआर’

एचसीएल फाउंडेशन ने देहरादून में आयोजित किया एचसीएल ग्रांट पैन इंडिया सिम्‍पोजियम 2022 “राष्ट्र निर्माण के लिए सीएसआर’ एचसीएल फाउंडेशन जमीनी-स्‍तर पर सशक्तीकरण की शक्ति में ठोस विश्वास रखती है। एचसीएल ग्रांट सिम्पोजियम सीरीज – ‘सीएसआर फॉर नेशन बिल्डिंग’ (राष्ट्र निर्माण हेतु निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व) ऐसा ही एक अवसर है, जो हमें जमीनी-स्‍तर पर स्‍थायी राष्‍ट्र निर्माण के लिये जुड़ने, मिलकर सीखने और युक्तियों के सह-निर्माण का सामर्थ्य प्रदान करता है।

दिन भर चले इस आयोजन में स्‍थानीय एनजीओ के प्रतिनिधियों और नागरिक समाज विशेषज्ञों ने ‘वैश्विक महामारी पश्चात रिजिल्यंस (पलटाव) की रूपरेखा – उच्च पैमाने के प्रभाव की दिशा में सामाजिक क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान हेतु’ विषय पर परिचर्चा की। इस आयोजन में कुल 70 से अधिक एनजीओ और 100 से अधिक लोगों ने उपस्थित होकर क्षेत्र के कई भागों का प्रतिनिधित्‍व किया।

सिम्पोजियम में सीएसआर बॉक्‍स और एनजीओ बॉक्‍स के सीईओ एवं संस्‍थापक श्री भौमिक शाह, और निखिल पन्त, रीचा (REACHA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पूर्व मुख्य प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव, नैशनल फाउंडेशन फॉर सीएसआर, आईआईसीए, कॉर्पोरेट मामला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीएसआर क़ानून और नए संशोधन पर एक मास्टरक्लास/कार्यशाला संचालित की गई।

हिम ज्योति स्कूल, देहरादून की प्रिंसिपल रूमा मल्होत्रा; स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसाइटी, उत्तराखंड के सचिव डॉ. अनुज सिंघल; भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के वरीय वैज्ञानिक, मनोज कुमार; वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के संयुक्त निदेशक और प्रमुख-विकास, साहिल मुकेश चोकसी जैसे प्रबुद्ध प्रतिष्ठित वक्‍ताओं ने जानकारियों से भरी परिचर्चा की और परस्पर संवाद किया। इस सत्र का संचालन रीचा (REACHA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, निखिल पन्त ने किया।

यह आयोजन मुख्‍य रूप से एचसीएलएफ के लिये मायने रखने वाली भागीदारियों, यात्राओं और अनुभव निर्मित करने और गहन प्रभावों पर केन्द्रित था जिसमें एचसीएलएफ टीम द्वारा सुनियोजित भविष्‍य की गतिविधियों पर रोशनी डाली गई।

एचसीएल फाउंडेशन ने देहरादून में दूसरी बार सिम्पोजियम का संचालन किया है। वर्ष 2018 में पहले सिम्पोजियम को राज्‍य के एनजीओ से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली और इस साल हुई भागीदारी ज्‍यादा उत्साहवर्द्धक रही।

इस सिम्पोजियम के माध्‍यम से एचसीएल फाउंडेशन स्‍थानीय क्षेत्र के विकास, प्रस्‍ताव लेखन और परियोजना प्रबंधन में सीएसआर के आदेश, चुनौतियों और अवसरों को लेकर एनजीओ के पास पहुँचा। इसने एचसीएल ग्रांट 2022 में आवेदन के लिए उन्‍हें प्रोत्‍साहित किया। राज्‍य में कई अच्‍छे एनजीओ हैं, जो शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और पर्यावरण में काम कर रहे हैं और जिन्‍हें सिम्पोजियम से फायदा हो सकता है।

एचसीएल ग्रांट पैन-इंडिया सिम्पोजियम पूरे भारत के एनजीओ, सरकार, कॉर्पोरेट्स और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाने के लिये एचसीएल फाउंडेशन की एक पहल है, ताकि वे संवाद करें और सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) पर क्षेत्रीय एवं सेक्‍टर की समझ विकसित करें और राष्‍ट्र-निर्माण में कैसे योगदान दें, इस पर विवेचना करें। इसमें पैनल पर सीएसआर और सेक्‍टर के विशेषज्ञ, शिक्षाविद, एचसीएल ग्रांट पाने वाले एनजीओ और विकास क्षेत्र के अन्‍य व्‍यवसायी भी होंगे, जो मिलेंगे और अपने अनुभव साझा करेंगे।

एचसीएल ग्रांट के अंतर्गत पहले ही 56 सिम्पोजियम आयोजित हो चुके हैं जिनमें से 22 ई-सिम्पोजियम थे और 34 का संचालन व्यक्तिगत रोप से किया गया था जिनमें 11,000 से अधिक लोगों ने सहभागिता की। इन आयोजनों से करीब 11,34,498 लोग लाभान्वित हुए।

वर्ष 2019 में रॉयल कामनवेल्थ सोसाइटी फॉर द ब्लाइंड (साईटसेवर्स इंडिया) एचसीएल ग्रांट विनर में से एक था। राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल में इस संगठन द्वारा दृष्टिबाधित अच्छों के लिए समावेशी शिक्षा परियोजना के लिए इसे यह ग्रांट दिया गया था।

संस्करण VIII तक एचसीएल ग्रांट के माध्यम से 95.75 रुपये करोड़ निर्धारित किया जा चुका है, जबकि लगभग 52 करोड़ रुपये का फण्ड पहले ही परिनियोजित किया जा चुका है। हमने 41 एनजीओ सहयोगियों के साथ साझेदारी की है जिनमें से 18 एनजीओ ने 5 करोड़ रुपये प्रत्येक का ग्रांट प्राप्त किया है। इनके अलावा 23 एनजीओ ने 25 लाख रुपये प्रत्येक का ग्रांट प्राप्त किया। इन संगठनों को यह ग्रांट उनके अपने-अपने प्रोजेक्ट्स के लिए प्रदान किया गया।

इस साल एचसीएल ग्रांट सिम्पोजियम भारत के 10 राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में संचालित होंगे। लक्ष्‍य होगा विकास क्षेत्र के सभी इच्‍छुक पेशेवरों, लाभ-निरपेक्ष, सामाजिक उद्देश्‍य वाले संगठनों और शैक्षणिक संस्‍थानों को विभिन्‍न जगहों पर सिम्पोजियम में शामिल होने के लिए आमंत्रित करना।

एचसीएल फाउंडेशन इन परिचर्चाओं के माध्‍यम से एनजीओ को एचसीएल ग्रांट की जानकारी देना चाहता है, जो  भारत में उपलब्‍ध सबसे प्रतिष्ठित संस्‍थागत अनुदानों में से एक है और एक स्‍वतंत्र, कठोर तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्‍यम से ऐसे एनजीओ की पहचान करता है, जो ग्रामीण विकास के लिए बेहतरीन काम कर रहे हैं।

यह एचसीएल ग्रांट का लगातार आठवाँ वर्ष है। अनुदान शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और पर्यावरण श्रेणियों में हर श्रेणी के लिये तीन साल की परियोजना के लिए 5 करोड़ रूपये के वचन के साथ दिये जाएंगे। एक साल की परियोजना के लिए दूसरे फाइनालिस्ट्स को भी 25 लाख रूपये अनुदान के रूप में मिलेगा। आठवें संस्‍करण के लिए कुल 16.5 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

एचसीएल ग्रांट के लिए होने वाले रजिस्‍ट्रेशन काफी बढ़ गये हैं। 2016 से एचसीएल ग्रांट के तहत 35000 से ज्‍यादा रजिस्‍ट्रेशन हुए हैं और 7500 से ज्‍यादा आवेदन मिले हैं। एचसीएल ग्रांट के पीछे न केवल देश की वृद्धि और विकास में योगदान देने वाले एनजीओ के काम को सम्‍मानित करने का विचार है, बल्कि यह भी है कि उनके साथ जुड़ा जाए ताकि वांछित प्रभाव मिल सके।

हर साल प्रकाशित होने वाले एचसीएल ग्रांट सिम्‍पोजियम में केवल विजेता नहीं होते हैं, बल्कि 30 चयनित एनजीओ का काम भी होता है। हर श्रेणी में दस एनजीओ चुने जाते हैं। यह नागरिक समाज में मजबूत व्‍यवस्‍था के महत्‍व को दोबारा स्‍थापित करने और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य कर रहे भारतीय एनजीओ को अंतर्राष्‍ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में एक कदम है।एचसीएल ग्रांट सिम्पोजियम्स एडिशन VIII के माध्‍यम से एचसीएल फाउंडेशन का लक्ष्‍य है भारत के एनजीओ, सरकार, कॉर्पोरेट्स और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाना, ताकि वे सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) पर क्षेत्रीय और सेक्‍टर की समझ विकसित करें और इसकी वि‍वेचना करें कि #NationBuilding में यह कैसे योगदान दे सकते हैं।

आज के सिम्पोजियम को काफी अच्‍छा समर्थन और फीडबैक मिला है और हम कई एनजीओ को अपने रोचक कार्य के साथ आते देखकर बहुत खुश हैं और उम्‍मीद करते हैं कि यह सत्र भाग लेने वाले एनजीओ की नागरिक समाज में मजबूत व्‍यवस्‍था को पुनर्स्‍थापित करने में मदद करेंगे। हमारा मानना है कि सिम्‍पोजियम्स सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों और बदलाव लाने वाली युक्तियों पर ताजा जानकारी से एनजीओ को सक्षमतापूर्वक सशक्‍त करेंगे और एक बेहतर भारत बनाने में उन्‍हें सहयोग देंगे।

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