जो हुआ सो हुआ जानें दीजिए,
जिंदगी का मजा आनें दीजिए।
हो गई गर ख़ता भूले से कहीं,
भूलके ना कभी तानें दीजिए।
आदमी से बड़ा सोंचें क्या यहाँ,
प्यार से बात समझानें दीजिए।
हाल बदहाल हर कोई है खफा,
दर्द को आज सहलानें दीजिए।
मुफलिसी से लड़े जिंदा हीं मरे,
जो मिला प्रेम से खानें दीजिए।
जो जहां भी मिले लब पे हो हँसी,
ले खुशी अब मुस्कुरानें दीजिए।
‘अनि’ यही चाहता पाये हर खुशी,
प्यार से गीत हँस गानें दीजिए।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड