मनोरंजन

शोक गीत – जसवीर सिंह हलधर

 

कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।

घात लगा दुश्मन  ने मारा घुसा वक्ष में शूल ।।

 

दो कुंतल बारूद भरा था ऐसा था विस्फोट ,

भारत माता के सीने पर इतनी गहरी चोट ,

बोटी बोटी बिखर गए थे अस्थि कलश के फूल ।

कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।1

 

देश की खातिर वीर हमारे गए निशानी छोड़ ,

थमा गए इक प्रश्न देश को जीवन बंधन तोड़ ,

नींद उड़ा दो अब दुश्मन की हिले पाक की चूल ।

कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।2

 

सच्चे श्रद्धा सुमन मांगते मेरे वीर जवान ,

ऐसा हो प्रहार करारा बने पाक शमशान ,

शोणित नदियां बहे पाक में बैरी फांके धूल ।

कैसे कहूँ व्यथा वीरों  शब्द नहीं अनुकूल ।।3

 

केशर घाटी सुलग रही है बीते सत्तर साल ,

भारत माता ने खोये हैं अपने लाखों लाल ,

अब बारी बदला लेने की “हलधर”करों न भूल ।

कैसे कहूँ  व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।4

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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