सीख लें यदि कष्ट में हम मुस्कराना,
अति सरल कर्तव्य को होगा निभाना।
हर्ष पाती माँ सदा क्यों साधना से,
प्रिय उसे है त्याग ममता का ठिकाना।
गर्व से सैनिक उठा कर ध्वज चले क्यों,
देश ही उसको लगे उत्तम खजाना।
मोह क्यों संतान से अति लोग रखते,
चाहें हँसकर शाम जीवन की बिताना।
जोड़ना नाता अगर हो परम सुख से,
सीख लें हम लोग रोते को हँसाना।
— मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश