बता दो जरा आज अपनी कमी को,
बताना पढेगा छुपी इस नमी को।
मिले यार हमको सुकूँ जिंदगी में,
रहो आशना में, हटा अजनबी को।
दुखाया बड़ा दिल अजी वेवजह क्यो,
जरा तुम भी समझो मेरी बेबसी को।
खुदा की दुआ है मिला काम अब तो,
बड़े प्यार से अब जी तू सादगी को।
तुम्हे जिंदगी में मिलेगी बहारे,
मजा आज देना खुशी जिंदगी को।
इबादत है मेरी लिखूँ अब ग़ज़ल ही।
बड़े प्यार से गा रही शायरी को।
अकेली नही है सुनो चाँदनी भी।
कहाँ छोड़ता चाँद है चाँदनी को।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़