मनोरंजन

मैं अटल हूँ – रोहित आनंद

मैं अडिग हूँ, मैं अविचल हूँ,

कर्तव्य पथ पर मैं चलता रहूँगा।

मैं वो दृढ़ता का स्तंभ हूँ,

जो कभी नहीं डगमगाता हूँ।

 

मैंने देखा है जीवन के उतार-चढ़ाव,

जब था कोरा और रिक्त, मैंने उसे भर दिया।

लिखकर काल-कपाल पर, मैंने छाप छोड़ दी,

जो अमिट है, जो कभी नहीं मिटता हूँ।

 

मैं वो पर्वत जो अचल हूँ,

जो कभी नहीं हिलता हूँ।

मैं देश भक्तों के लिए सरल हूँ,

गद्दारों के लिए मैं जटिल हूँ।

 

मैं अटल हूँ, मैं अविचल हूँ,

कर्तव्य पथ पर मैं चलता रहूँगा।

मैं वो दृढ़ता का स्तंभ हूँ,

जो कभी नहीं डगमगाता हूँ।

– रोहित आनंद , बांका, डी. मेहरपुर, बिहार

Related posts

हिंदी हिंदुस्तान – प्रियंका ‘सौरभ’

newsadmin

पत्रकार से दुर्व्यवहार मामले में कोर्ट ने सलमान खान को भेजा समन

admin

हिंदी ग़ज़ल – विनोद निराश

newsadmin

Leave a Comment