हम सब बच्चे हिंदुस्तानी, हिंदी अपनी भाषा है।
दिशा-दिशा में हिंदी फैले, यह अपनी अभिलाषा है।
माता के जैसी है प्यारी, इसमें भरी हुई ममता,
लिखने और बोलने में ही, हम सब का है मन रमता।
देवों की संस्कृत भाषा से, हिंदी की धारा निकली,
हम बच्चे संवाहक बनकर, बदलें अब परिभाषा है।
हम सब बच्चे हिंदुस्तानी, हिंदी अपनी भाषा है…१
हिंदी से हम क्यों घबराएं, अच्छे अंक दिलाती है।
अंग्रेजी उर्दू के जैसे ही, सम्प्रेषण सिखलाती है।
धीरे-धीरे जगह बनाती, सहनशीलता के बल पर।
अंग्रेजी से उत्तम यह अब, रही नहीं उपभाषा है,
हम सब बच्चे हिंदुस्तानी, हिंदी अपनी भाषा है…२
नई-नई भाषाएँ सीखें, जो नित ज्ञान बढ़ातीं हैं।
गूढ़ तत्व शिक्षा के हमको, मिलकर ये समझातीं हैं।
सह-अस्तित्व मात्र है कुंजी, नहीं बैर भाषाओं में,
अच्छे तत्व ग्रहण करने को, करती नित संभाषा है।
हम सब बच्चे हिंदुस्तानी, हिंदी अपनी भाषा है…3
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा,उत्तर प्रदेश