दूर जा रहे हो क्यों तुम मुझसे,
मान सम्मान सब पाई तुझसे,
रहोगे तुम मुझमें यादें बनकर,
दिसंबर बिछड़ना ना चाहूँ तुझसे।
खड़े हैं जनवरी अब मेरे द्वारे ,
देखो अपनी बाँहे पसारे,
स्वागत करें अब हम सब मिलकर,
फिर से नई नई यादों को सँवारें।
– सविता सिंह मीरा,जमशेदपुर