एक छोटी बात पर अपना तो याराना गया ।
दोष उसका था मगर उसका नहीं माना गया ।
वो कभी आता इधर तो मैं कभी जाता उधर ,
साथ पीते थे कभी वो ख़ास मयखाना गया ।
चोर की दाढ़ी में तिनके की कहावत सिद्ध है ,
राजधानी में भी ऐसा चोर पहचाना गया ।
सौ किलो के आदमी को मौत ने ऐसा ठगा,
दो किलो हड्डी बचीं जब राख को छाना गया ।
एक चादर प्रेम की बुनने की चाहत थी मुझे ,
गांठ धागों में लगी तो टूटता ताना गया ।
गीत ग़ज़लों का तो मेरे पास में भंडार है ,
मंच के बाजीगरों तक ये न परवाना गया ।
छंद में ताकत अधिक है तीर से तलवार से ,
कवि जहां पहुँचा नहीं लेकिन वहां गाना गया ।
लोग जाते घूमने बैंकाक,इटली फ्रांस को ,
सरफिरा ‘हलधर’ शराबी घूमने घाना गया ।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून