राष्ट्रीय

सरायरंजन में नीलगायों के अतिक्रमण एवं फ़सल बर्बाद होने पर दुःखी किसान

neerajtimes.com सरायरंजन/समस्तीपुर (प्रकाश कुमार राय) – सरायरंजन थाना व अंचल क्षेत्र के पतैली चौर में बीते कुछ दिनों से नीलगायों के द्वारा खेतों में लगे फसलों को बर्बाद करते हुए लगातार देखा जा रहा है। जिससे किसानों को काफ़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है एवं नीलगायों के अतिक्रमण से किसान बेहद नाखुश हैं। इस गंभीर समस्याओं को देखकर गंगसारा पंचायत के अहमदपुर के भूतपूर्व पंचायत समिति व युवा समाजसेवी संजीव कुमार इंकलाबी उर्फ भाई जी ने पीड़ित किसानों को उचित मशविरा देते हुए कहा कि नीलगायों को जान से मारने जैसी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है बल्कि एक बड़ी एवं नई समस्याओं को पैदा करने के जैसा है। यदि  नीलगायों को वन विभाग के वन पदाधिकारियों के द्वारा यथाशीघ्र नहीं पकड़वाया जाए तो खेतों में लगे तमाम फसलों को क्षतिग्रस्त कर सकती है। पीड़ित किसानों में मणिकांत झा, मोद नारायण झा, रामानन्द झा, अमरकान्त झा, कामेश्वर झा, छोटे झा, राहुल झा, संतोष झा, फेकन झा आदि जैसे दर्जनों किसानों ने अपनी-अपको   समस्याओं को कुंठित भावों में उजागर किया।

गौरतलब है कि इंसानों ने जब जानवरों के घरों पर अतिक्रमण कर उनके घरों पर कब्जा कर लिया तो आख़िर ये सभी जानवरों सब कहाँ डेरा डालेंगे।हम इंसानों ने उसके घरों को अतिक्रमण कर खेत बना डाला तो ऐसे हालातों में वे सभी अपना-अपना नये घरों को बनाने  में मशगूल हैं। साथ ही साथ वे सभी खेतों में लगे फसलों को पूरी तरह बर्बाद करने में भी लगे हुए हैं।

श्री इंकलाबी ने किसानों को आश्वासन दिया कि हम सभी सरकार को एक लिखित आवेदन-पत्र देकर विनम्रतापूर्वक अपील करना चाहेंगे कि वन विभाग के पदाधिकारियों के द्वारा इन सभी नीलगायों को ससमय पकड़वाकर इसे किसी सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया दिया जाए। क्योंकि, इसे जान से मारना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं होगी एवं कानून व अदालत के विरूद्ध  होगी। यदि इसे जान से मार दिया जाए तो काफ़ी दुष्प्रभाव होंगे, पारिस्थितिकी व पर्यावरण संतुलन पर काफ़ी बुरा असर पड़ेगा। उदाहरणार्थ जिस प्रकार विषैले साँपों के काटने व इसके विषाक्त से बचाव हेतु साँपों को पकड़कर लोगों से कोसों दूर किसी अज्ञात वनों में छोड़कर चले आते हैं ठीक उसी प्रकार वन विभाग के वन पदाधिकारियों के द्वारा नीलगायों के अतिक्रमण से बचाव हेतु उन्हें भी किसी अज्ञात बड़े-बड़े वनों में छोड़ दिया जाए ताकि किसानों को राहत मिल सके। (जिला ब्यूरो प्रमुख, समस्तीपुर, बिहार)

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