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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

हमें भाती सनम तेरी अदाएँ,

चलो मिलकर तुम्हें हम अब लुभाएँ।

 

मुहब्बत से हसीं पल को बिताएँ,

गुजारे वक्त अपना हम हँसाएँ।

 

सदा दे साथ दुल्हन को रिझाएँ,

दुआऐं दे रही है ये फिजाएँ।

 

रहो तुम प्यार से मिलकर हमेशा,

बधाई दे रहे हैं मुस्कुराएँ।

 

करो आदर सदा तुम बड़ो का,

बडे सब आपको देते दुआएं।

 

बजाएँ साज हमने प्यार से ऋतु,

दुआओं की झड़ी मिलकर लगाएँ।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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